बच्चों को सेक्स और सेक्सुअलिटी के बारे में कब और क्या सिखाना चाहिए?
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इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सभी के लिए जरूरी और महत्वपूर्ण है। विशेषकर, बच्चों और युवा होते वयस्कों को उनकी उम्र के अनुसार उनके जीवन में सही समय पर यौन शिक्षा दी जानी चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है, क्योंकि एक निश्चित उम्र में, बच्चे अपने आस-पास होने वाली हर चीज को जानने के बारे में बहुत उत्सुक होते हैं, जिसमें उनके शरीर में होनेवाले बदलाव भी शामिल हैं। इस प्रकार, यह सुनिश्चित करना माता-पिता की जिम्मेदारी बन जाती है कि उनके बच्चों को सही समय पर सही मात्रा में जानकारी दी जाए ताकि वे इसके लिए बाहरी साधनों पर निर्भर न रहें, जो उन्हें नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। हालांकि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए यहां एक गाइड दी गई है, जिसे पढ़कर आप जान सकते हैं कि बच्चों को उनकी एक निश्चित उम्र में सेक्स और कामुकता के बारे में क्या सीखना चाहिए। टोडलर: 13 से 24 महीने टॉडलर्स को जननांगों सहित शरीर के सभी अंगों का नाम बताने में सक्षम होना चाहिए। उन्हें शरीर के अंगों के सही नाम सिखाकर, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे हेल्थ इश्यूज, इंज्यूरी या यौन शोषण के बारे में बताने के लिए बेहतर तरीके से समझने और समझाने में सक्षम होंगे। इससे उन्हें यह समझने में भी मदद मिलती है कि शरीर के ये अंग अन्य अंगों की तरह ही नॉर्मल हैं, जैसे बांह या पैर। प्रीस्कूलर: दो से चार साल की उम्र उनकी समझ और रुचि के लेवल के आधार पर, आप बच्चों को उनकी बर्थ स्टोरी के बारे में बता सकते हैं। यह मत सोचिए कि आपको एक ही बार में सब कुछ कवर करना है। छोटे बच्चों की रुचि सेक्स के बजाय प्रेग्नेंट महिला के पेट और शिशुओं में होती है। इसके अलावा, उन्हें यह भी समझना आना चाहिए कि उनका शरीर उनका है और उनकी अनुमति के बिना कोई भी उनके शरीर को छू नहीं सकता है। साथ ही, इस उम्र तक, बच्चों को किसी और को छूने से पहले उनसे अनुमति लेना आना सीखना चाहिए और इसकी सीमाओं के बारे में सीखना शुरू कर देना चाहिए। स्कूली उम्र के बच्चे: पांच से आठ साल की उम्र उन्हें इस बात की बेसिक जानकारी दी जानी चाहिए कि लिंग किसी व्यक्ति के जननांगों से निर्धारित नहीं होता है, और कुछ लोग, हेट्रोसेक्सुअल, होमोसेक्सुअल या बाइसेक्सुअल होते हैं। बच्चों को रिश्तों में गोपनीयता,नग्नता और दूसरों के प्रति सम्मान करने की बुनियादी सामाजिक परंपराओं के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्हें इस उम्र की समाप्ति तक तरुणावस्था की शुरुआत के बारे में भी बेसिक शिक्षा दी जानी चाहिए। प्री- टीन्स : नौ से 12 साल की उम्रकिशोरावस्था में कदम रखने से पूर्व (प्री-टीन्स ) वाले बच्चों को सुरक्षित सेक्स और गर्भनिरोधक के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए और उन्हें गर्भावस्था और यौन संचारित संक्रमणों के बारे में बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि किशोर होने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें सेक्सुअली एक्टिव होना है। उन्हें समझना चाहिए कि किस बात से पॉजिटिव रिलेशनशिप बनते हैं और किस बात से क्या खराब।उन्हें इंटरनेट सुरक्षा का ज्ञान बढ़ाने के साथ-साथ उत्पीड़न और सेक्स ज्ञान का भी पता होना चाहिए। किशोरावस्था : 13 से 18 साल की उम्रकिशोरावस्था के बच्चों को पीरियड, नाइट फॉल और स्लीप ऑर्गेज्म के बारे में विस्तृत जानकारी दी जानी चाहिए। उन्हें गर्भावस्था, यौन संचारित रोगों के बारे में, विभिन्न गर्भनिरोधक विकल्पों के बारे में और सेफ सेक्स करने के लिए उनका उपयोग करने के तरीकों के बारे में भी पता होना चाहिए। उन्हें एक हेल्दी रिलेशनशिप और अनहेल्दी रिलेशनशिप के बीच के अंतर को लगातार समझना और सीखना जारी रखना है। इसमें प्रेशर और हिंसा के बारे में जानना और आपसी सहमति से सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने का अर्थ समझना भी शामिल है।
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