सेक्स में अहम भूमिका निभाते हैं स्त्रियों के ये 7 यौनांग
सेक्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं स्त्रियों के यौनांग। स्त्री यौनांग, पुरुष यौनांग से भिन्न तो होते ही हैं, बल्कि अधिक संवेदनशील और उत्तेजक भी होते हैं। पुरुष सेक्स के दौरान एकबार ऑर्गेज्म की अनुभूति प्राप्त कर लेने के बाद दोबारा चरमसुख पाने की स्थिति में नहीं होता, जबकि स्त्री एक बार के सहवास में कई बार चरमसुख की अनुभूति कर सकती है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि स्त्री यौनांग पुरुष यौनांग से कहीं ज्यादा संवेदनशील और सेक्स के लिए उपयुक्त होता है। मासिक धर्म, गर्भधारण, शिशु जन्म, स्तनपान जैसी खासियतें एक स्त्री ही कर सकती है। यह सब उसके लिए प्रकृति के एक वरदान स्वरूप है। पुरुषों को यह शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त नहीं है। स्त्री-पुरुष सेक्स द्वारा जो मनोरंजन प्राप्त करते हैं, उसके लिए स्त्री यौनांगों में स्तन, योनि, जी-स्पॉट, भग, भगोष्ठ, योनि द्वार, भगनासा, मूत्र छिद्र और योनि छिद्र इत्यादि सेक्स में विशेष रोल अदा करते हैं।कामसूत्र यानी स्त्री-पुरुष की रतिक्रिया, कामसुख पाने के साथ-साथ मानसिक शांति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। एक संतुष्टि भरे सुखद सहवास में स्त्रियों के अंदरूनी और बाहरी अंगों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

सेक्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं स्त्रियों के यौनांग। स्त्री यौनांग, पुरुष यौनांग से भिन्न तो होते ही हैं, बल्कि अधिक संवेदनशील और उत्तेजक भी होते हैं। पुरुष सेक्स के दौरान एकबार ऑर्गेज्म की अनुभूति प्राप्त कर लेने के बाद दोबारा चरमसुख पाने की स्थिति में नहीं होता, जबकि स्त्री एक बार के सहवास में कई बार चरमसुख की अनुभूति कर सकती है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि स्त्री यौनांग पुरुष यौनांग से कहीं ज्यादा संवेदनशील और सेक्स के लिए उपयुक्त होता है। मासिक धर्म, गर्भधारण, शिशु जन्म, स्तनपान जैसी खासियतें एक स्त्री ही कर सकती है। यह सब उसके लिए प्रकृति के एक वरदान स्वरूप है। पुरुषों को यह शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त नहीं है। स्त्री-पुरुष सेक्स द्वारा जो मनोरंजन प्राप्त करते हैं, उसके लिए स्त्री यौनांगों में स्तन, योनि, जी-स्पॉट, भग, भगोष्ठ, योनि द्वार, भगनासा, मूत्र छिद्र और योनि छिद्र इत्यादि सेक्स में विशेष रोल अदा करते हैं।
स्तन (Breast)

स्त्री के महत्वपूर्ण यौनांग हैं उसके स्तन (Breast), जो कुदरत का वरदान है। स्त्रियों के सुंदर सुडौल स्तन किसी भी पुरुष का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेने में सक्षम होते हैं। स्तन शिशु की भूख को भी शांत करते हैं और पुरुष की कामोत्तेजना को जगा कर उसकी चाहत को शांत करने में भी प्रभावी होते हैं। सेक्स के दौरान पुरुष द्वारा स्त्री के स्तनों को छूना, सहलाना, दबाना, मसलना, निप्पल को चूसना, दांतों से धीरे-धीरे काटना, उसपर अपना चेहरा रगड़ना प्यार और सेक्स का सर्वाधिक आनंद प्राप्त करने का जरिया होता है।
(फोटो साभार: istockfromgettyimage)
योनि (vagina)

योनि स्त्री का आंतरिक यौनांग है। योनि भग से गर्भाशय-मुख तक जाती है। पीरियड और शिशु का जन्म इसी रास्ते से होता है। योनि की दीवारें चिकनी और कोमल श्लेषमा झिल्ली की होती हैं। इस झिल्ली में छोटी-छोटी ग्रंथियां होती हैं, जो स्त्राव छोड़ती हैं तथा योनि मार्ग को तर रखती हैं। इन विशेषताओं के कारण योनि में फैलने और सिकुड़ने की क्षमता होती है, जिससे पुरुष को अपना उत्तेजित लिंग योनि में प्रवेश कराने में कोई दिक्कत नहीं होती और न ही स्त्री को किसी प्रकार की कोई असुविधा होती है। सहवास के क्षणों में स्त्री जब उत्तेजित हो उठती है तब योनि बढ़ जाती है, जिससे संभोग आनंददायक बन जाता है। योनि में लिंग जब प्रवेश करता है, तब लिंग-मुंड के घर्षण से स्त्री को भरपूर आनंद मिलता है और योनि भी अपने मार्ग को तर रखकर लिंग को अंदर-बाहर आने-जाने की क्रिया में सहायता करती है।
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जी-स्पॉट (G-Spot)

जी-स्पॉट योनि में लगभग 2 इंच अंदर होता है, वैसे प्रत्येक स्त्रियों में थोड़ा-थोड़ा अंतर होता है। जी-स्पॉट योनि का सर्वाधिक संवेदनशील भाग होता है, जो सेक्स के दौरान ऑर्गेज्म यानी चरमसुख तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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भग (Vulva)

स्त्री शरीर की जांघों के बीच पेड़ू होता है और पेड़ू के नीचे भग होता है। यह दो भागों में बंटा होता है। युवावस्था में यहां बाल उग आते हैं। यह अंग पुरुषों के आकर्षण का महत्वपूर्ण केन्द्र होता है, जिसे देखकर वे उत्तेजित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। स्त्रियों को सलाह है कि सेक्स के अंतरंग पलों के आनंद लेने के लिए भग के बालों की सफाई करके उसे क्लीन रखें, आपके पुरुष पार्टनर पागल हुए बगैर नहीं रह पाएंगे।
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भगोष्ठ (Labia)

भगोष्ठ भग को एक दरार दो भागों में बांट देती है और ये बंटे हुए भाग ही भगोष्ठ कहलाते हैं। पेड़ू से लेकर गुदा के पास तक दिखाई देने वाले दोनों भगोष्ठों को वृहत भगोष्ठ कहा जाता है। भगोष्ठ कुछ उभरे हुए, मोटे और गुदगुदे होते हैं तथा आपस में सटे रहते हैं, लेकिन विवाहित स्त्रियों के भगोष्ठ फैलकर कुछ चौड़े हो जाते हैं। इन भगोष्ठों के अंदर दो और भगोष्ठ होते हैं, इन्हें लघु भगोष्ठ कहा जाता है। ये गुलाबी रंग के पतले और मुलायम होते हैं। योनि द्वार पर ये भगोष्ठ सुरक्षा कवच का काम करते हैं और अंदरूनी नाजुक अंगों की रक्षा करते हैं। इन भगोष्ठों के नीचे दो छिद्र होते हैं, ऊपर वाला छिद्र मूत्र मार्ग होता है और उसके आधा इंच नीचे दूसरा छिद्र योनि छिद्र होता है।
भगनासा (Clitoris)

भग के अंदर मूत्र छिद्र से एक इंच ऊपर एक उभार सा होता है, जिसे भगनासा कहा जाता है। भगनासा पुरुष शिश्न का अविकसित रूप है। इसमें शिश्न के समान खोखले कोष होते हैं और कामोत्तेजना की स्थिति में भगनासा फूलकर सख्त हो जाता है।
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बार्थोलिन की ग्रंथियां (Bartholin's glands)

बार्थोलिन की ग्रंथियां योनि के द्वार पर होती हैं। कामोत्तेजना होने पर इनमें से एक चिकना-सा स्त्राव निकलता है, जो योनि नलिका को गीला करता है ताकि शिश्न आसानी से अंदर प्रवेश कर सके। यह स्त्राव शुक्राणुओं की भी रक्षा करता है और शुक्राणु आसानी से गर्भाशय तक पहुंच जाते हैं।
(फोटो साभार: istockfromgettyimage)
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