यौन रोग एड्स के लक्षण और इलाज क्या हैं?
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डॉ. अशोक गुप्ता, सेक्स एक्सपर्ट, चांदनी चौक, नई दिल्ली। सवाल: मैं 25 वर्षीय एक नौकरीपेशा युवक हूं। मैंने यौन रोग () के बारे में काफी सुना है। मैं जानना चाहता हूं कि एड्स रोग क्या होता है और इसके लक्षण कैसे पता चलते हैं? इससे बचाव के क्या तरीके हैं? जवाब : एड्स (AIDS) का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम है। यह एक संक्रामक यौन रोग है। जिस वायरस से यह पैदा होता है, उसे ह्यूमन इम्यून डेफिशिएंसी वायरस अर्थात संक्षिप्त रूप में एच.आई.वी. कहते हैं। एड्स फैलता है एड्स के वायरस एच.आई.वी. किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में मुख्य रूप से संभोग के दौरान वीर्य से, चुम्बन के दौरान लार से, रोगग्रस्त व्यक्ति के खून से और ब्लड चढ़ाने के दौरान या नशे के लिए शिराओं में प्रयुक्त एक ही सिरिंज की निडिल की प्रयोग से पहुंच जाते हैं। एड्स के लक्षणएड्स के शुरुआती दौर में यह पहचान पाना कठिन होता है कि एच.आई.वी. शरीर में प्रवेश कर चुके हैं या नहीं, क्योंकि इसके लक्षण 5 से 10 वर्ष के बाद भी उभर सकते हैं। हालांकि डॉक्टरों की राय में मुंह में सफेद चकत्तेदार धब्बे उभरना, शरीर से अधिक पसीना निकलना; बार-बार थकान की शिकायत होना; अचानक वजन कम होने लगना; तेज बुखार रहना; बार-बार दस्त लगना; लगातार खांसी आना; गले, जांघों और बगलों की लसिका ग्रंथियों की सूजन से गांठें पड़ना; सारे शरीर में खुजली और जलन होना, निमोनिया, टीबी, स्किन कैंसर जैसी तकलीफें होने लगे, तो एड्स का टेस्ट करवाने में देर नहीं करनी चाहिए। एड्स शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को कम कर देता हैएड्स स्त्री-पुरुष दोनों को होता है। हमारे शरीर में होने वाले जीवाणुओं के संक्रमण से लड़ने के लिए व्हाइट ब्लड सेल्स होते हैं, जिससे शरीर हानिकारक जीवाणुओं के प्रभाव से सुरक्षित रहता है। शरीर की जीवाणुओं से लड़ने की अपनी इस स्वाभाविक शक्ति को इम्यूनिटी सिस्टम कहा जाता है। एड्स के वायरस इन व्हाइट ब्लड सेल्स को भी क्रियाहीन करके हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को कम कर देते हैं, जिससे वायरस से लड़ने की हमारे शरीर की शक्ति खत्म हो जाती है और रोग शरीर में अपना अधिकार जमा लेता है। यही कारण है कि इसे इम्यून डेफिशिएंसी यानी रोग प्रतिरोधक शक्ति का कम होना कहते हैं। एड्स से बचाव ही सबसे बेहतरीन इलाज एड्स एक जानलेवा बीमारी है। दुनिया भर के डॉक्टर और चिकित्सा वैज्ञानिक इसके कारगर इलाज की तलाश में लगातार रिसर्च किए जा रहे हैं। एड्स को कोई समुचित इलाज उपलब्ध नहीं है। इसलिए इस रोग से दूर रहने के लिए बचाव करना ही सबसे बेहतरीन इलाज है।
- एड्स से पीड़ित व्यक्ति को संभोग से दूर रहना चाहिए।
- असुरक्षित सेक्स संबंध, समलैंगिक सेक्स संबंध और वेश्याओं से सेक्स करने से बचें। पत्नी को छोड़कर पर-स्त्रीगमन की आदत से परहेज करें।
- संभोग के बाद मूत्र त्याग करके अपने गुप्तांगों को साफ पानी से अच्छी तरह धोएं।
- होठों पर घाव, खून का रिसाव हो तो चुम्बन से बचें। क्योंकि इस बीमारी के वायरस लार के माध्यम से आपके खून में पहुंचकर आपको इस रोग से पीड़ित कर सकते हैं।
- सैलूनों में शेविंग करवाते समय नई ब्लेड का उपयोग करने को कहें। एंटीसेप्टिक लोशन का इस्तेमाल हर बार करें। अन्य व्यक्तियों के ब्लेड या रेजर का उपयोग न करें।
- ब्लड को शरीर में लेने के पहले उसकी एच.आई.वी. मुक्त होने की जांच अवश्य करवा लें। अपने परिजनों, परिचितों और निकट संबंधियों का ब्लड ही उपयोग में लेने की कोशिश करें। प्रोफेशनल ब्लड डोनर के ब्लड को न खरीदें।
- इंजेक्शन लगवाते समय डिस्पोजेबल सिरिंज और निडिल का ही प्रयोग करें।
- एड्स से संक्रमित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्योंकि यह रोग उनके शिशुओं में भी संक्रमित हो जाता है।
- यदि किसी अविवाहित पुरुष या स्त्री एड्स से संक्रमित हो जाए तो उन्हें विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि एड्स उनके जीवनसाथी और बच्चों को संक्रमित करके उनका जीवन बर्बाद कर देगा।
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