मुखर होता जा रहा है प्यार का इजहार, ये हैं कुछ कारण
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मुहब्बत एक ऐसी शै है, जिसमें पड़ने के बाद प्यार के दीवाने इसकी रौ में इस तरह बहने लगते हैं कि उन्हें जमाने भर का डर कम लगने लगता है। बदलती हवा की नज़ाकत कहें या मौजूदा वक्त का दस्तूर, अब चाहे हीर-रांझा और लैला-मजनूं जैसी मुहब्बत की दास्तानें भले ही नहीं लिखी जाती हों, लेकिन इस पीढ़ी के युवाओं की प्यार की अभिव्यक्ति मुखर हो गई है। इसी का नतीजा है कि वे गाहे-बगाहे प्यार के छुपे खेल में ना पड़कर खुलकर अपने प्यार का इजहार करने लगे हैं। पश्चिम की हवा है निरालीपश्चिमी देशों के लोगों को हमारे देश की हवा में रची-बसी संस्कृतियां उन्हें अपनी ओर खींचती है।जबकि इसके विपरीत भारत के ही कुछ नागरिकों को अपनी परंपराएं रूढ़िवादिता की खोखली मिसाल लगती है और पश्चिम के आजाद माहौल की खुलेपन की हवा उन्हें इतनी ज्यादा लुभाने लगी है कि हम रिश्तों को लेकर कुछ ज्यादा ही व्यावहारिक हो गए हैं। अच्छा लगा तो ठीक, वरना बिना एडजस्टमेंट किए रिश्ते को रफा-दफा करना भी सीख लिया है। इसी क्रम में उन्हें अपने प्यार को अभिव्यक्त करने के लिए सोशल साइट्स की मदद लेना भी नागवार नहीं गुजरता। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप जैसी सुविधाएं तो हमें मिल गई, लेकिन इसने मुहब्बत करने वालों को एक बड़ा माध्यम दे दिया। प्यार के रिश्तों में सोशल साइट्स की भूमिका
- ग्लोबलाइजेशन का सबसे ज्यादा प्रभाव सीधे तौर पर रिश्तों पर पड़ा। इसे और भी ज्यादा सशक्त बनाने की भूमिका निभाई सोशल साइट्स ने। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप तो आज के युवाओं के आम जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। थोड़ा अचंभित, थोड़ा चौंकाती फ़ेसबुक के स्टेटस ने लोगों के व्यक्तिगत जीवन को अनजाने लोगों के सामने भी उकेर कर रख दिया।
- कहते हैं प्यार दो लोगों के जीवन के हर तार को एक-दूसरे से जोड़ देता है। ऐसे में इस नाजुक तंतु को बनाए रखने में ये सोशल साइट्स कितने कारगर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोशल साइट्स पर जुड़ने वाले रिश्ते की उम्र बहुत कम होती है। मनोवैज्ञानिकों की मानें, तो आज की युवा पीढ़ी समय से पहले सब कुछ पा लेने की चाह में हर जगह परफेक्शन की तलाश करती है। प्रेम संबंधों के मामले में भी उनका रवैया आक्रामक है। सोशल साइट्स के जरिए थोड़े दिनों की बातचीत में जरा सा भी वैचारिक मतभेद हुआ, तो संबंध को रिजेक्ट करने में उन्हें ज़रा भी देर नहीं लगती। सीधे तौर पर रिश्तों में समझौता उन्हें पसंद नहीं।
- इसके अलावा अपने पार्टनर के प्रति अपनी भावनाएं, पर्सनल फोटोज को सोशल साइट्स के माध्यम से दूसरों के साथ शेयर करने से वे जरा भी नहीं हिचकिचाते। ये सब उनके प्रेम संबंधों को लेकर खुलापन ही तो है, जब वे अपनी प्राइवेट बातों को सार्वजनिक करने को गलत नहीं मानते। अब उन्हें साइट्स पर खुद को सिंगल, इन-ए- रिलेशनशिप या ट्रबल- इन- रिलेशनशिप लिखने में कोई बड़ी बात नहीं दिखती। यही वजह है कि उनके प्यार की अभिव्यक्ति इतनी मुखर हो गई है कि व्यक्तिगत प्रेम संबंध का सार्वजनिक होना उन्हें खलता नहीं।
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